पीड़िता का तबियत बिगड़ने के बाद जांच में हुआ बड़ा खुलासा
शेखपुरा/धीरज सिन्हा
शेखपुरा. जिले के बरबीघा रेफरल अस्पताल के चिकित्स्कों का एक बड़ा लापरवाही सामने आया है. दरसल बरबीघा थाना क्षेत्र के शेरपर मोहल्ला निवासी एक महिला से जुड़ा गंभीर मामला देखने को मिला है। यहां रेफरल अस्पताल में एक दलित गर्भवती महिला का बंध्याकरण ऑपरेशन कर दिया गया। इस घटना के बाद से इलाके में चर्चा और परिजनों में आक्रोश व्याप्त है। परिजनों के अनुसार महिला दो माह की गर्भवती थी, इसके बावजूद अस्पताल में उसका बंध्याकरण कर दिया गया। महिला की पहचान शेरपर मोहल्ला निवासी शंभू मांझी की पत्नी चमेली देवी के रूप में की गई है। ऑपरेशन से पहले कई तरह की जांच लिखी गई थी, लेकिन अस्पताल में जांच नहीं होने पर परिजनों ने निजी क्लीनिक में 24 सौ रूपये खर्च कर जांच कराई। बावजूद इसके, ऑपरेशन के बाद रिपोर्ट महिला को नहीं लौटाई गई। पीड़िता ने बताया कि ऑपरेशन के चार दिन बाद जब प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया तो वह दो माह की गर्भवती निकली। महिला का वजन मात्र 35 किलो है और उसकी तबीयत भी लगातार खराब बनी हुई है। महिला पिछले एक सप्ताह से ठीक ढंग से खाना भी नहीं खा पा रही है। इस मामले में पीड़ित महिला के पति शंभू मांझी ने जिला प्रशासन से पूरे मामले की जांच कर दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही महिला की सास धनबत्ती देवी ने बताया है की उसके चिकित्स्कों द्वारा जांच किया गया लेकिन सही से नही किया गया और उसका बंधयाकरन का ऑपरेशन कर दिया गया. वहीं स्थानीय निवासी सतेंद्र सिंह ने भी बरबीघा रेफरल अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है और उसपर कार्रवाई का मांग किया है. इसके साथ ही महिला के पति ने पत्नी के इलाज का पूरा खर्च सरकार से उठाने की भी गुहार लगाई है। महिला का परिवार बेहद दयनीय आर्थिक स्थिति में जीवन-यापन कर रहा है। महिला के परिजनों ने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से आर्थिक मदद की भी मांग की है। वही इस मामले में बरबीघा रेफरल अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि महिला कारपोरेशन के दौरान जांच रिपोर्ट में प्रेग्नेंट की कोई जानकारी नहीं थी। इस कारण ऑपरेशन किया गया।